Prashant Ranjan Dutt
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में दिव्यांग लोगों की आबादी लगभग 26.8 मिलियन थी, जो देश की कुल आबादी 2.21% है हालाँकि विश्व बैंक (World Bank) द्वारा जारी एक अनुमान में देश में दिव्यांग लोगों की आबादी लगभग 40 मिलियन बताई गई है। बच्चे दो प्रकार के हैं – सामान्य और दिव्यांग अर्थात विशेष आवश्यकता वाले बच्चे. सामान्य बच्चे सभी कार्य आसानी से करते हैं इसके विपरित दिव्यांग बच्चें अपने छमता के अनुरूप कार्य करते हैं. दिव्यांग बच्चों को जीवन में कई प्रकार के मनोसामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इन समस्याओं का प्रभाव माता पिता, बच्चों पर भी पड़ता है. विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को मानसिक तनाव, हीन भावना, शैक्षिक समस्या, भेदभाव, व्यक्तिगत समस्या, सामाजिक अलगाव, व्यवहार सम्बन्धी कठिनाईयों, दैनिक जीवन की समस्याओं इत्यादि का सामना करना पड़ता है. सरकार द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों की स्थिति में सुधार के लिये कई सराहनीय पहलों की शुरुआत की गई है। समुदाय-आधारित पुनर्वास (CBR) दृष्टिकोण प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्तर पर एक व्यापक दृष्टिकोण है. दिव्यांग’ या 'डिफरेंटली एबल्ड' जैसे शब्दों के प्रयोग मात्र से ही दिव्यांग लोगों के प्रति बड़े पैमाने पर सामाजिक विचारधारा को नहीं बदला जा सकता। ऐसे में यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि सरकार द्वारा नागरिक समाज और दिव्यांग व्यक्तियों के साथ मिलकर कार्य करे.
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