सुमन कुमारी
भारतीय लोकतंत्र की मजबूती, उसकी क्षमता और शासन की वैधता मुख्यतः एक पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव प्रणाली पर निर्भर करती है। हाल के दशकों में चुनावी प्रक्रिया पर धन-बल, राजनीति का अपराधीकरण, चुनावी वित्तपोषण की पारदर्शिता का अभाव, डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग तथा निर्वाचन संस्थानों की सीमाएँ जैसी गंभीर चुनौतियाँ उभर कर आई हैं। इस शोध-पत्र का उद्देश्य उन प्रमुख सुधार-क्षेत्रों की पहचान, सुधारों की व्यवहारिकता और उनके संभावित प्रभाव का विश्लेषण करना है। पेपर में कानून आयोग की 2015 की सिफारिशों, ‘One Nation, One Election’ पर चर्चा, अपराधीकरण पर डेटा-आधारित चिंताएँ, और चुनावी वित्त (Electoral Bonds जैसे विवादास्पद विषय) के प्रभावों का समग्र मूल्यांकन किया गया है। अंतिम निष्कर्ष यह है कि व्यवस्थित, चरणबद्ध और बहु-आयामी चुनाव सुधार — जिसमें कानूनी संशोधन, वित्तीय पारदर्शिता, तकनीकी सुधार और राजनीतिक दलों की आंतरिक संरचना सुधारना शामिल है — भारतीय लोकतंत्र को अधिक जवाबदेह और प्रभावी बना सकते हैं।
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