Abstract:
"यत्र पूज्यन्ते नारी, तत्र रमन्ते देवता" अर्थात् जहॉं नारी की पूजा होती है वहॉं देवता निवास करते हैं। प्राचीन समय से ही भारतीय संस्कृति में नारियों का अपना गौरवशाली स्थान रहा है। लेकिन धीरे-धीरे समय परिवर्तन के साथ भारतीय नारी की स्थिति में अनेक परिवर्तन हुये हैं। प्राचीन समय से लेकर आज तक की नारी की स्थिति में क्या-क्या परिवर्तन हुऐ हैं? और क्यों हुये है? तथा इस स्थिति के जिम्मेदार कौन हैं? शोध पत्र द्वारा यह जानने का प्रयास किया गया है। शोध हेतु भोपाल शहर के सभी आयु वर्ग के युवा/वयस्क, पौढ़, महिला/पुरूष को अलग-अलग वर्ग में विभाजित किया है तथा साक्षात्कार विधि द्वारा उनके विचार जानने का प्रयास किया हैं। निष्कर्ष में यह पाया गया कि नारी को कुछ करने के लिए अपनी ही आन्तरिक शक्तियों को जीवित करना होगा, उन्हे और अधिक शक्तिशाली बनाना होगा, तभी वह अपने स्वयं के लिये, परिवार, समाज तथा देश के लिए कुछ कर पायेंगी।