Pushpraj Gunjan
दहेज हिंसा एक वैश्विक समस्या है, यह हिंसा महिला केन्द्रित होती है । इसमें महिला पीड़ित एवं दुल्हा को उत्पीड़न देने वाला समझा जाता है । 1000 में से, 49.5% महिलाओं ने आपने जीवन काल में कम से कम एक बार अपने पति / अंतरंग साथी के हाथों हिंसा का अनुभव किया । प्रस्तुत शोध का उद्देश्य दहेज हिंसा से पीड़ित महिलाओं की स्थिति तथा प्रभाव का अध्ययन करना है । आजादी के बाद पहली बार दहेज निषेध अधिनियम 1961 में बनाकर कर लागू किया गया । लेकिन इस अधिनियम के बावजूद भी दहेज हिंसा चरम पर है । दहेज हिंसा से महिला की महिमा शर्मसार होती है इतना ही नहीं उनके मौलिक अधिकारों का भी हनन होता है । भारतीय संस्कृति में छिपी हुई लैंगिक असमानता को दहेज हिंसा प्रदर्शित करती है । भारत में व्यापक रूप से फैली हुई इस समस्या को समाप्त करने के लिए विभिन्न कानूनों में बदलाव तथा अनेक प्रकार के जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है । दहेज हिंसा को रोकने में भारतीय दंड संहिता 498 A, भारतीय दंड संहिता 304B, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 आदि सरकारी कानूनों की महत्वपूर्ण भूमिका है ।
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