विनोद कुमार
यह शोध पत्र भारत के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के बहुआयामी प्रभावों का तुलनात्मक भौगोलिक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। अध्ययन दर्शाता है कि तापमान वृद्धि, वर्षा की अनिश्चितता, चरम मौसमी घटनाओं और प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण ने देश की फसल उत्पादकता, कृषि स्थिरता और किसानों की आजीविका को गहराई से प्रभावित किया है। इंडो-गैंगेटिक मैदानों में गेहूँ-धान प्रणाली, दक्कन के वर्षा-आधारित क्षेत्र, तटीय कृषि, शुष्क क्षेत्रों की जल-संकटग्रस्त खेती और हिमालयी बागवानी सभी अलग-अलग स्वरूप में जलवायु जोखिम का सामना कर रहे हैं। निष्कर्ष स्पष्ट करते हैं कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव क्षेत्र-विशिष्ट हैं और सतत कृषि सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय अनुकूलन रणनीतियाँ आवश्यक हैं।
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