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International Journal of Social Science and Education Research
Peer Reviewed Journal

Vol. 7, Issue 2, Part G (2025)

योगसूत्रों के आंतराय और आधुनिक समाज में मानसिक विक्षोभ: एक तुलनात्मक विश्लेषण

Author(s):

पूजा रानी

Abstract:
योगसूत्र, पतंजलि द्वारा प्रतिपादित, मानसिक स्थिरता और आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने का प्राचीन भारतीय मार्ग प्रस्तुत करते हैं। इनमें आंतराय (अवरोध) का विचार विशेष महत्व रखता है, जो मन, इन्द्रिय और आत्मा के बीच उत्पन्न होने वाले विक्षोभों को निरूपित करता है। आंतरायों को समझकर व्यक्ति मानसिक संतुलन, निर्णयक्षमता और ध्यान की क्षमता विकसित कर सकता है। आधुनिक समाज में, तेजी से बदलती जीवनशैली, तकनीकी प्रगति, सामाजिक अपेक्षाएँ और कार्यसंबंधी दबाव मानसिक विक्षोभ के मुख्य कारण बन गए हैं। तनाव, चिंता, अवसाद और एकाग्रता में कमी जैसी समस्याएँ आम हो गई हैं। इस अध्ययन में योगसूत्रों के आंतराय सिद्धांतों और आधुनिक समाज में मानसिक विक्षोभ के लक्षणों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है। पाया गया कि योगिक दृष्टिकोण मानसिक विक्षोभ को रोकने और नियंत्रित करने में प्रभावशाली है, जबकि आधुनिक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण इसके उपचार और लक्षण प्रबंधन पर केंद्रित है। योगाभ्यास, प्राणायाम और ध्यान मानसिक विक्षोभ को कम करने और मानसिक स्वास्थ्य सुधारने में सहायक होते हैं। इस अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलता है कि प्राचीन योगिक ज्ञान और आधुनिक मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का सम्मिलन मानसिक विक्षोभ के समाधान के लिए उपयुक्त रणनीति प्रस्तुत कर सकता है।

Pages: 573-576  |  91 Views  26 Downloads


International Journal of Social Science and Education Research
How to cite this article:
पूजा रानी. योगसूत्रों के आंतराय और आधुनिक समाज में मानसिक विक्षोभ: एक तुलनात्मक विश्लेषण. Int. J. Social Sci. Educ. Res. 2025;7(2):573-576. DOI: 10.33545/26649845.2025.v7.i2g.406
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