अंशु प्रिया
विश्व बैंक एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जिसका प्रमुख उद्देश्य निर्धन वर्ग की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाना और वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन करना है। निर्धन वर्ग विकासशील देशों की सबसे संवेदनशील आबादी है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आवास जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित रहती है। विश्व बैंक ने इन चुनौतियों से निपटने हेतु अनेक कल्याणकारी योजनाएँ प्रारम्भ की हैं। इनमें प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, मातृ-शिशु पोषण कार्यक्रम, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, कौशल विकास एवं रोजगार सृजन, तथा सामाजिक सुरक्षा कवच प्रदान करने जैसी योजनाएँ प्रमुख हैं। इसके साथ ही स्वच्छ जल, स्वच्छता और ग्रामीण आवास जैसे बुनियादी ढाँचे के विकास में भी सहयोग किया जा रहा है। इन योजनाओं से निर्धन वर्ग की जीवन गुणवत्ता में आंशिक सुधार हुआ है और गरीबी दर में कमी आई है। तथापि योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार, संसाधनों की कमी और वास्तविक लाभार्थियों तक पहुँच की बाधाएँ अभी भी मौजूद हैं। अतः स्थानीय शासन की पारदर्शिता, जनसहभागिता और तकनीकी नवाचार को मज़बूत कर इन योजनाओं को और प्रभावी बनाया जा सकता है। इस प्रकार, विश्व बैंक की पहलें निर्धन वर्ग के समग्र विकास और सतत आर्थिक प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण आधार प्रस्तुत करती हैं।
शोध का उद्देश्य
1. निर्धन वर्ग के लिए विश्व बैंक द्वारा संचालित योजनाओं का विश्लेषण करना।
2. इन योजनाओं के प्रभाव और चुनौतियों का अध्ययन करना।
3. भारत और विशेषकर बिहार के संदर्भ में इन योजनाओं की प्रासंगिकता को समझना।
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