डाॅ0 मुहम्मद मुस्तकीम
पारिवारिक हिंसा एक वैश्विक समस्या है, अभी तक यह हिंसा महिला केन्द्रित थी उसमें महिला को पीड़ित व पुरूष को उत्पीड़न करने वाला समझा जाता था परन्तु 21वीं शताब्दी में पारिवारिक हिंसा के शिकार पुरूष भी हो रहे है लेकिन समाज पीड़ित पुरूष को अनदेखा कर रहा है उसका मानना है कि पारिवारिक हिंसा पुरूष के साथ नहीं हो सकती है क्योंकि भारतीय समाज पुरूष प्रधान है। जबकि एक अध्ययन में आँकड़ों के विश्लेषण से ज्ञात होता है कि 52..4% पुरूषांें ने लिंग आधारित हिंसा का अनुभव किया। 1000 में से, 51.5% पुरूषों ने अपने जीवन काल में कम से कम एक बार अपनी पत्नियों/अतरंग साथी के हाथों हिंसा का अनुभव किया। प्रस्तुत शोध का उद्देश्य पारिवारिक हिंसा के पीड़ित पुरूषों की स्थिति तथा इसके प्रभावों का अध्ययन करना।
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