कुमारी स्वर्णलता
संसदीय लेकतांत्रिक शासन प्रणाली में महिलाओं को स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही भारत में महिलाओं को समान राजनीतिक अधिकार प्रदान किये गयें। लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के 78 वर्ष उपरान्त भी महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व पुरुषों की तुलना में बहुत कम है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में महिलाओं की दशा सुधारनें के लिए अनेक प्रयास किए गए और कई योजनाएं बनाई गई, परन्तु कल्याणकारी योजनाओं का वांछित प्रभाव भारतीय महिलाओं पर समान रूप से नहीं पड़ा तथा उन सबका लाभ महिलाओं तक नही पहुँच पाया। इसके परिणामस्वरूप महिलाओं की सामान्य स्थिति में कोई उल्लेखनीय सुधार नही हुआ। इसके अलावा महिलाएं हिंसा और अत्याचारों का शिकार भी बनती रही है।
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