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International Journal of Social Science and Education Research
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Vol. 7, Issue 1, Part L (2025)

योग वासिष्ठ में वर्णित मनोदैहिक रोगों की अवधारणा एवं उपचार पद्धति का विश्लेषणात्मक अध्ययन

Author(s):

प्रियंका गुलेरिया

Abstract:

मनोदैहिक रोगों से अभिप्राय उन रोगों से है, जो मानसिक तनाव के कारण उत्पन्न होते है और शरीर पर उनके लक्षण दिखाई देते है। इन रोगों का प्रभाव मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर परिलक्षित होता है। आधुनिक समय में बढ़ती हुई अनैतिकता और असमाजिकता के कारण से मनुष्य शारीरिक व मानसिक रोगों से ग्रस्त हो रहा है। इन रोगों के उत्पन्न होने का मुख्य कारण ‘मन’ है। मनोदैहिक रोग उन्हें कहते है जिनकी उत्पत्ति का कारण ‘मन’ होता है और शरीर पर उनके लक्षण दिखाई देते है ये रोग शरीर व मन दोनों को रोगी बना देते है। जब मनुष्य का मन विकृत हो जाता है, तो शरीर के स्वस्थ होने पर भी सब निरर्थक हो जाता है। अतः अत्याधिक मानसिक रोगों के उत्पन्न होने का कारण मनुष्य का मन है। मन के द्वारा उत्पन्न काम, क्रोध, लोभ, मोह, द्वेष इत्यादि मानसिक विकार नकारात्मकता उत्पन्न करते है। इन सभी के कारण चिन्ता, भय, निराशा, अशंका, असंतोष, उदासी, उद्वेग, आत्महीनता, अपराध भाव इत्यादि वृत्तियाँ उत्पन्न होती है जब नकारात्मकता लम्बे समय तक बनी रहे तो शरीर व मन अनेक व्याधियों जैसे कि तनाव ;ैजतमेेद्धए चिंता ;।दगपमजलद्धए अवसाद ;क्मचतमेेपवदद्धए सनक ;व्इेमेेपवदद्धए भ्रम ;क्मसनेपवद चीवइपंद्धए मति भ्रम ;भ्ंससनबपदंजपवदद्धए आक्रामकता ;।हहतमेेपवदद्ध इत्यादि से ग्रस्त हो जाता है। नकारात्मक भावनाओं और दमित इच्छओं के शक्तिशाली वृत्त बनते जाते है और व्यक्ति इससे बाहर नहीं निकल पाता है। इस अवस्था में व्यक्ति को जीवन नीरस प्रतीत होता है तथा जीवन में कठिनाइयां और असफलताएं ही प्रतीत होती है।

Pages: 954-956  |  463 Views  138 Downloads


International Journal of Social Science and Education Research
How to cite this article:
प्रियंका गुलेरिया. योग वासिष्ठ में वर्णित मनोदैहिक रोगों की अवधारणा एवं उपचार पद्धति का विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int. J. Social Sci. Educ. Res. 2025;7(1):954-956. DOI: 10.33545/26649845.2025.v7.i1l.349
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