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International Journal of Social Science and Education Research
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Vol. 7, Issue 1, Part L (2025)

वृंदावन लाल वर्मा के उपन्याासों में कथोपकथन से पात्रों की चारित्रिक विशेषताओं का उद्घाटन

Author(s):

डॉ. मोनिका दलाल

Abstract:
वृंदावन लाल वर्मा जी ने अपने उपन्याासों में कथोपकथनों से उपर्युक्त तीना कार्य लिये हे। एक कुशल उपन्यासकार की भांति उन्होनें इनके माध्यम से कथा बिखरे सूत्रों को जोड़ कर कथानक के विकास का कार्य लिया है। सामान्यरूप से वर्मा जी अपने कथानकों के विकास के लिये वर्णनों का अवलम्बन करते है, किन्तु कहीं-कहीं कथापकथनों के कुशल विनियोजन से घटित घटनाओं की सूचना देकर कथानक को गति दी गई है। उपन्यास में कथोपकथनका दूसरा प्रमुख कार्य पात्रों के चरित्र-चित्रण में सहायक होना है। पात्रों की भावनाओं, अनुभावों, उद्देश्यों उस घटना-प्रक्रिया में, जिसमें कि वे पात्र भाग ले रहे है, उसकी प्रतिक्रयाएं जानने में, और दूसरों के ऊपर वे अपने व्क्तित्व एवं चरित्र तथा क्रियाकलापों से कितना प्रभाव डाल रहे है, यह जानने में कथापकथनों का अत्यन्त महत्व है। इसके अतिरिक्त एक कुशल उपन्यासकार जिसमें कलात्मक अभिव्यक्ति की श्रेष्ठता, परिस्थितियों की यथार्थता एवं अनुभूतियों की गहनता की पकड़, कथोपकथनों के माध्यम से ही विश्लेषण एवं विवरण देने का भी कार्य करता है।

Pages: 950-953  |  497 Views  112 Downloads


International Journal of Social Science and Education Research
How to cite this article:
डॉ. मोनिका दलाल. वृंदावन लाल वर्मा के उपन्याासों में कथोपकथन से पात्रों की चारित्रिक विशेषताओं का उद्घाटन. Int. J. Social Sci. Educ. Res. 2025;7(1):950-953. DOI: 10.33545/26649845.2025.v7.i1l.323
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