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International Journal of Social Science and Education Research
Peer Reviewed Journal

Vol. 6, Issue 2, Part C (2024)

ग्रामीण समाज में लिंगभेद के कारण एवं दुष्प्रभाव

Author(s):

श्री गोविन्द कुमार नागोर एवं डाॅ. सुधा (सुरेष) सिलावट

Abstract:

इस शोध-पत्र में मध्यप्रदेष के बड़वानी जिले के विषेष संदर्भ में ग्रामीण समाज में लैंगिक भेदभाव के कारणों और दुष्प्रभावों पर अध्ययन आधारित विष्लेषण प्रस्तुत किया गया है। पुरूष तथा स्त्री एक जैविकीय अवधारणा है। यदि इस तथ्य के साथ किसी प्रकार की असमानता जोड़ दी जाती है तो यह एक सामाजिक अवधारणा बन जाती है, जिसे लैंगिक असमानता या लैंगिक भेदभाव कहा जाता है। स्त्री और पुरूष मानव समाज की आधारषिला है। किसी एक के अभाव में समाज की कल्पना नहीं की जा सकती, इसके बावजूद लैंगिक भेदभाव एक सामाजिक यथार्थ है। ग्रामीण समाज में लैंगिक भेदभाव के कारणों एवं दुष्प्रभावों के अध्ययन आधारित विष्लेषय में यह निष्कर्ष निकला है कि भारतीय समाज में कई प्रकार की सामाजिक व धार्मिक कुरीतियां प्रचलन में हैं जोकि लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देती हैं। यदि महिला आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं है तो उसके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार होने की अधिक सम्भावना है। लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देने में महिलाएं भी कुछ हद तक जिम्मेदार हैं क्योंकि यह देखने में आया है कि लिंगभेद की सामाजिक कुरीतियों के पालन करवाने में विषेष जोर घर की महिलाओं का होता है। है। यह उल्लेखनीय तथ्य भी सामने आया है कि लैंगिक भेदभाव से उपजा तनाव महिलाओं के विकास को बाधित करता है। लैंगिक भेदभाव महिलाओं की समाज में भागीदारी को सीमित कर देता है क्योंकि सम्पूर्ण सामाजिक भागीदारी पुरूषों के प्रसाद पर्यन्त बनी रहती है।

Pages: 201-204  |  238 Views  79 Downloads


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How to cite this article:
श्री गोविन्द कुमार नागोर एवं डाॅ. सुधा (सुरेष) सिलावट. ग्रामीण समाज में लिंगभेद के कारण एवं दुष्प्रभाव. Int. J. Social Sci. Educ. Res. 2024;6(2):201-204. DOI: 10.33545/26649845.2024.v6.i2c.146
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