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International Journal of Social Science and Education Research

Vol. 6, Issue 2, Part A (2024)

संथालों का व्यवसायिक शिक्षाकरण (1947-2015): एक अध्ययन

Author(s):

विकास कुमार

Abstract:

मानव समाज अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप ही शिक्षा के पाठ्यक्रम का निर्धारण करता है। आधुनिक संथाल समाज निर्धनता बेरोजगारी मद्यपान, पलायन जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। इन समस्याओं का समाधान संथाल समाज व्यावसायिक शिक्षा से कमों बेस संपन्न कर सकता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ-साथ आर्थिक विकास में मानव प्रमुख संसाधन की भूमिका निभाता है, मानव संसाधन विकास के अर्थ में ही संथाल का शैक्षिक, आर्थिक, तकनीकी, व्यावसायिक इत्यादि विकास भी समाहित है, प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा एवं दूरस्थ शिक्षा सब मानव संसाधन विकास के ही साधन हैं। व्यावसायिक शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना है। भारत से डिग्री प्राप्त अधिकांश छात्र अमेरिका, चीन, आस्ट्रेलिया एवं ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में कार्यरत हैं। स्वास्थ्य एवं देशी औषधि के क्षेत्र में भी आधुनिक संथाल युवाओं ने क्राति का सूत्रपात किया है। संथाल क्षेत्र सहित संपूर्ण भारत मे व्यावसायिक शिक्षा पर जोर क्रमशः सर्वप्रथम औपनिवेशिक शासकों,पंचवर्षीय योजनाओं एवं आधुनिक सरकार ने इसे अनेक योजनाओं के माध्यम से संथलों के सामूहिक विकास हेतु व्यावसायिक शिक्षाकारण करने का प्रयास किया। अगर कुछ त्रुटियां को नजर अंदाज किया जाए तो यह काफी हद तक सफल भी रहा इससे संथाल समाज अब शिक्षा एवं रोजगार के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रहा है।

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International Journal of Social Science and Education Research
How to cite this article:
विकास कुमार. संथालों का व्यवसायिक शिक्षाकरण (1947-2015): एक अध्ययन. Int. J. Social Sci. Educ. Res. 2024;6(2):16-21. DOI: 10.33545/26649845.2024.v6.i2a.110
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