Abstract:
भारत के जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति अन्य क्षेत्रों की तुलना में अपेक्षाकृत कमजोर रही है, जिसका प्रमुख कारण सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारक हैं। इस शोध का मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि जनजातीय समुदायों में अभिभावकों की शिक्षा के प्रति क्या धारणा है और वह धारणा विद्यार्थियों के शैक्षिक प्रदर्शन को किस प्रकार प्रभावित करती है। अध्ययन में यह पाया गया कि अभिभावकों की सकारात्मक सोच, सहयोगात्मक व्यवहार एवं शिक्षा के महत्व की समझ विद्यार्थियों की उपस्थिति, शैक्षणिक उपलब्धि और आत्म-विश्वास पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालती है। वहीं, जहां शिक्षा को अनावश्यक या आर्थिक बोझ समझा जाता है, वहां बच्चों की स्कूल में रुचि, निरंतरता और प्रदर्शन में गिरावट देखी गई। इस शोध में मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों के चुनिंदा जनजातीय क्षेत्रों में सर्वेक्षण एवं साक्षात्कार के माध्यम से आंकड़े एकत्रित किए गए। अध्ययन निष्कर्ष यह संकेत करते हैं कि यदि अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाए तथा उनके साथ सतत संवाद स्थापित किया जाए, तो जनजातीय बच्चों की शैक्षिक प्रगति को सुदृढ़ किया जा सकता है। यह शोध नीति निर्माताओं, शिक्षकों और सामाजिक संगठनों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है ताकि जनजातीय शिक्षा में गुणवत्ता और समानता सुनिश्चित की जा सके।