डॉ. उत्कर्ष उपाध्याय
सुशासन के लिए भागीदारी एक अनिवार्य शर्त हैं । हाल के वर्षों में भागीदारी या सहभागिता ने लोक प्रशासन के प्रमुख विषय के रूप में अपनी अलग एवं विशिष्ट पहचान बनाई है । भागीदारी प्रशासनिक गतिविधियों में हर तरह के नागरिक हस्तक्षेप को शामिल करती है । यद्यपि जन भागीदारी तभी सार्थक हो सकती है जब भागीदारी में शामिल नागरिक अपने अधिकारों व उत्तरदायित्व से पूरी तरह वाकिफ हों तथा उन्हें सम्बन्धित कार्ययोजना की पूरी जानकारी हो । भारत में सरकार द्वारा नागरिक सहभागिता के लिए “मेरी सरकार” नामक पोर्टल की शुरुवात करना सरकार का सुशासन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है । जन भागीदारी आम नागरिकों को ऐसा प्लेटफॉर्म देती है जहाँ वह अपनी समस्याओं व जरूरतों व आवश्यकताओं के समर्थन में अपनी सार्थक आवाज बुलंद कर सकता है तथा अपने आप को शासन प्रक्रिया का अभिन्न अंग मानकर उससे जुड़ा महसूस करता है । प्रशासन में नागरिकों की सहभागिता नागरिकों को सिर्फ मतदान से आगे जाकर अपनी रचनात्मकता व सच्ची नागरिकता को निखारने व संवारने का अवसर प्रदान करती है ।
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