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International Journal of Social Science and Education Research
Peer Reviewed Journal

Vol. 4, Issue 1, Part A (2022)

भारतीय रंगमंच का इतिहास

Author(s):

Shatrujeet Singh

Abstract:

भारतीय रंगमंच का साहित्यिक और ऐतिहासिक विकास समृद्ध परंपरा का प्रतीक है। इसका उद्भव वेदों, उपनिषदों और संस्कृत नाटकों से हुआ, जिनमें अभिनय, रूपक और नाट्यशास्त्र का संपूर्ण ज्ञान परिलक्षित होता है। इस अध्ययन का उद्देश्य भारतीय रंगमंच के विविध पहलुओं, जैसे नाट्यशास्त्र, अभिनय, रंगमंच का विकास एवं उसकी परंपराओं का विश्लेषण करना है। इसके लिए प्राचीन नाट्यशास्त्र, संस्कृत नाटकों एवं आधुनिक प्रयोगों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। परिणामस्वरूप, ज्ञात हुआ कि भारतीय रंगमंच की परंपरा अत्यंत प्राचीन और विविधतापूर्ण है, जिसमें ग्रीक और पौराणिक प्रभावों के साथ-साथ पुतली नाच और छायानाटकों का भी योगदान है। वर्तमान में, भारतीय रंगमंच का पुनरुत्थान आवश्यक है, जिसमें प्रयत्नों से राष्ट्रीय रंगमंच का निर्माण संभव है। इस अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलता है कि भारतीय रंगमंच की परंपरा साहित्यिक, अभिव्यक्ति और अभिनय के क्षेत्र में समृद्ध है, और उसे आधुनिक तकनीकों एवं सिद्धांतों के समावेशन से और विकसित किया जा सकता है।

Pages: 73-78  |  59 Views  20 Downloads


International Journal of Social Science and Education Research
How to cite this article:
Shatrujeet Singh. भारतीय रंगमंच का इतिहास. Int. J. Social Sci. Educ. Res. 2022;4(1):73-78. DOI: 10.33545/26649845.2022.v4.i1a.283
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